पढ़े -लिखे समाज की चार दीवारी का सच (part 2)( Hindi Story )

 सच का आईना { पार्ट 2 }

आज मैं एक ऐसे कपल की कहानी बताने जा रही हूँ। जो एक दूसरे को जानते -समझते हुए भी परिवार की वजह से अलग हो  जाते है। 

प्रेरणा और कपिल की शादी एक arrange marriage थी। परिवारों ने मिलकर दोनों की शादी बड़े धूम धाम से की थी। 

प्रेरणा  एक पढ़ी -लिखी लड़की है और उसके पिताजी एक वकील थे और माँ टीचर है। प्रेरणा ने भी L.LB करके practice शुरू कर दी थी ,जब प्रेरणा और कपिल की शादी होती है ।    

दूसरी तरफ़ कपिल भी एक समझदार और पेशे से इंजीनियर है उसके माता पिता भी दोनों जॉब करते थे । दोनों परिवार  एक दूसरे  के लिए परफ़ेक्ट थे।दोनों की शादी धूम धाम से हो गई ।दोनों बहुत ख़ुश थे और कुछ समय बाद सभी अपने अपने कामों में व्यस्त   हो जाते है। 

प्रेरणा अपनी practice के साथ-साथ घर को भी संभालने लगती है। लगभग दो साल तक सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था,सभी ख़ुश लग रहे थे पर उसकी सास को अब प्रेरणा के लिए  कुछ खटकने लगा था सो अब वह उसे बात बात पर टोकने लगी थी हर बार उसे कुछ ना कुछ जला कटा सुनाने का मौक़ा ढूँढती रहती थी ।इसलिए अब उन दोनों के बीच दूरियाँ भी बढ़ने लगी थी कुछ समय तक ये सब उन तक ही सीमित  था पर  धीरे धीरे इस का  असर पूरे परिवार पर दिखने लगा।  

कपिल की माँ ने अब अपने बेटे कपिल को बात बात पर प्रेरणा के ख़िलाफ़ भड़काना शुरू कर दिया ।अब रिश्तों ने दरारें बहुत बढ़ गई थी अब सास-बहू के बीच बातचीत बन्द हो गई थी ।घर मे सारा समय टेंशन बनी रहती थी । उसकी सास हर समय उसे घर से निकालने का ताना बाना बुनती रहती थी , कपिल भी अपनी माँ को कुछ नहीं कह पाता था  । इसलिए प्रेरणा ने उस से अपनी बात शेयर करना बन्द कर दी थी ।

एक दिन सास और बहू के बीच काफ़ी बहस हुई , सो उसकी सास ने उसे घर से निकल जाने को कहा ,पर परेणा ने इसका विरोध करते हुए कहा -मैं कही नहीं जाऊँगी ये मेरा भी घर है  पर कपिल ने उसका साथ नहीं दिया और उसे उस के मायके छोड़ आया ।

 प्रेरणा और उसका परिवार  कई महीनों तक  इंतज़ार करते रहे कि कपिल या उसका परिवार उसे वापिस बुला ले के , पर ऐसा नहीं हुआ ।

लेकिन एक दिन  कपिल की तरफ़ से तलाक़ का नोटिस आया जिसे देखकर सब के पैरों तले से ज़मीन सी खिसक गई हो जैसे ।प्रेरणा सदमे में आ गई क्योंकि उसे कपिल से ये उम्मीद नहीं थी । पर उसके ससुराल की तरफ़ से  उस पर दबाव बनने लगा कि वो पेपर साइन कर कपिल को तलाक़ दे दे ।पर वह नहीं मानी तलाक़ देने के लिए ।

सो कपिल के घर वालों ने कोर्ट में केस  डाल दिया तलाक़ के लिए  , केस सालों तक चलता रहा पर प्रेरणा का मन ओर भी पक्का हो गया था कि वह किसी भी हाल में तलाक़ नहीं देगी 

इसी तरह दस साल बीत गए और एक दिन उन्हें ख़बर मिली  कि उसकी सास नहीं रही  । अब उसके मरते ही केस भी ठण्डा पड़ने लगा  तो प्रेरणा के वकील ने उसे सलाह दी कि उसे अपने पति से बात करनी चाहिए कि ये केस बन्द कर दे ।क्योंकि उसका झगड़ा तो सास के साथ था , पति के साथ नहीं ।

प्रेरणा को भी ये बात सही लगी  , सो उसने कपिल से  बात की और दोनों मिलने लगे ,पर कपिल उसे घर नहीं ले जा सकता था क्योंकि उसकी माँ ने मरने से पहले पिताजी से वचन ले लिया था कि वो प्रेरणा को इस घर में आने नहीं देंगे , इसलिए वे दोनों  किराए के मकान  में रहने लगे कुछ समय बाद ये बात कपिल के पिता को भी पता चल गई पर उन्होंने इसका कोई विरोध नहीं किया , उन दोनों ने कई बार कोशिश की  कि पिता जी उन के साथ रहे , पर वो नहीं माने।

समय गुज़रने पर प्रेरणा ने बेटी को जन्म दिया  लेकिन कपिल के पिता नहीं आए , फिर उन के घर बेटा पैदा हुआ  ।वो दोनों बहुत ख़ुश थे और चाहते थे कि पिताजी भी उन के साथ आ कर रहे पर वे नहीं आए ।

एक दिन कपिल के वकील जो उस के पिता के अच्छे दोस्त थे  ,सैर करने के लिए निकले उन्हें रास्ते में कपिल के पिता कुत्ते के साथ टहलते मिले । वकील ने उन्हें समझाया कि अब तुम्हें इस कुत्ते के साथ नहीं बल्कि अपने पोता-पोती के साथ खेलना चाहिए। 

उसके पिता जी की आँखें भर आई और रुधे गले से बोले , बहु के पास ' क्या मुँह लेकर जाऊगा ' उन्होने तो मुझे बार बार बुलाया पर अपने पर अपने अहमं में मैं कभी नहीं जा सका | तो अब कैसे जा सकता हूँ | 

वकील साहब ने कहा --ऐसी बात नहीं हैं | आपके बच्चे ऐसे नहीं है,वो भी आप के साथ रहना चाहते है | चलिए हम दोनों मिल कर चलते है ,बेटे बहु के पास | प्रेरणा और कपिल उन्हें देख कर बहुत खुश होते है | पिता जी अपनी गलती का अहसास कर फूट फूट कर रोने लगते है | और आंसू के साथ मन की  सारी कड़वाहट धूल  गई |पिता जी उन्हें वापिस घर चलने के लिए कहते है ;और सब मिलकर रहने लगते है ,आज वे सब खुश है। 

इस कहानी का अंत सुखद रहा पर एक व्यक्ति के हट और बेवकूफी  की वजह से दो परिवार सालो तक दुःख की  दलदल में फंसे रहे ,क्या एक सास या बहु को अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठ कर नहीं सोचना चाहिये ?

क्या एक सास बेटी की तरह ,बहू की छोटी छोटी गलतियों को माफ़ नहीं कर सकती? ताकि उसका परिवार खुश रह सके। या अपनी जिद के चलते बेटे और बहू के जीवन को बर्बाद कर दे। 

                                                                                              धन्यवाद 

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