बच्चों का मन कोरा काग़ज़ ( Hindi Poem )

बच्चों का मन होता बिल्कुल कोरा कागज़ । हम उस पर लिख दें जो बन जाए वही हकीकत ।। जो मैंने कही - जो तुमने कही , जो उसने सुनी - उन खातिर वही सही, जो हमने दिया - उसने वही तो पाया है। बच्चों का मन.........................वही हकीकत ।। पापा को देखा - मम्मी को देखा , दादी को देखा - दादी को देखा , जैसा भी देखा - वैसा ही अपनाया है। बच्चों का मन.........................वही हकीकत ।। ये नादां हमारी छाया में हैं रहते , फिर हम सब क्यों ऐसा कहते , न जाने कहाँ सब सीख कर आया है। बच्चों का मन.........................वही हकीकत ।। डाँट पड़े - फटकार पड़े , रो -धो कर फिर साथ खड़े , अपनों की परिवरिश से सब पाया है। बच्चों का मन.........................वही हकीकत ।। कुछ पल रोए - कुछ पल रूठे , दूसरों के आचरण लगते झूठे , इन्हें सदा अपनों का लक्षण भाया है। बच्चों का मन.........................वही हकीकत ।।

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